Wednesday, March 18, 2009

Rs. 1.75 Carod Vaapas !!

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_5320568.html

फैजाबाद, 17 मार्च : नेताओं से लेकर अधिकारियों की मिन्नत करने के बाद जब गांव में सम्पर्क मार्ग पास हुआ तो सैकडों परिवारों के चेहरे खिल उठे थे, विकास की उम्मीदें जगीं थीं लेकिन एक बार फिर इनके चेहरों पर मायूसी छायी है और नेताओं से लेकर अधिकारियों तक के लिए मन में गुबार है। वजह साफ है कि करोड़ों की सम्मलित लागत वाले कार्यो के लिए जिले को मिली धनराशि वापस हो गई और जनता की दुश्वारियां खत्म होने के बजाय महाजनी सूद की तरह दिन-ब-दिन बढ़ती ही गई।

त्वरित आर्थिक विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2006-07 में फैजाबाद जिले में कुल आठ कार्यो की स्वीकृति दी गई थी। लखौरी से कपासी सम्पर्क मार्ग , सुरवारी सलोनिया मार्ग से मीरपुर कांटा सम्पर्क मार्ग, खिरौनी अचली का पुरवा मार्ग से रौनाही ड्यौढ़ी मार्ग तक सम्पर्क मार्ग (लम्बाई साढ़े चार किलोमीटर लागत 60.41 लाख), राष्ट्रीय राजमार्ग से मानधाता का पुरवा होते हुए रग्घूपुर मार्ग तक सम्पर्क मार्ग (लम्बाई चार किलोमीटर , लागत 67.48 लाख) कार्य कराने के शासनादेश भी नवम्बर 2006 में जारी हुए थे। शासन ने इन चारों कार्यो के लिए धनराशि जिले को अवमुक्त कर दी। इन कार्यो को कराने की जिम्मेदारी पीडब्लूडी निर्माण खण्ड दो तथा राजकीय निर्माण निगम को सौंपी गई। रकम मिलने के बावजूद भी इन कार्यदायी संस्थाओं ने काम शुरू ही नहीं कराया और डेढ साल तक हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं। जनप्रतिनिधियों ने भी मसला नहीं उठाया और जिला व मण्डल स्तर पर होने वाली कार्यदायी संस्थाओं की बैठक भी कागजी कोरम निपटाने की वजह से जाया साबित हुई। आखिरकार शासन ने इन कार्यो के लिए भेजी गई रकम को ही वापस मंगा लिया और दूसरे जिले को आवंटित कर दिया। करोडों का कार्य कराने वाली कार्यदायी संस्थाओं और उनके अधिकारियों को तो इससे कोई फर्क नहीं पडा पर दर्जन भर से अधिक गांव जो इससे सीधे तौर पर लाभान्वित होते, उनकी किस्मत एक बार फिर पल भर में बदकिस्मती में तब्दील हो गई। गांव की बदहाल सडकें और भी बदहाल होती चली गई और उनके बनने की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया। कपासी के ग्राम प्रधान माता प्रसाद निषाद, खिरौनी के प्रधान रामनयन इसे राजनीतिक उपेक्षा करार देते हैं। सुरवारी, अगेथुवा, सलोनिया, वीरभानपुर, अचली का पुरवा, मान्धाता का पुरवा, रग्घूपुर आदि गावों के लोग भी धनराशि वापस जाने को गांव की उपेक्षा करार देते हैं। गांव के विकास में महती योगदान देने वाली सडक का निर्माण स्वीकत होने के बाद भी महज उपेक्षा और लापरवाही की वजह से धनराशि वापस जाने पर उनका ये आक्रोश वाजिब भी बनता है। गांवों का जनाक्रोश लोस चुनावों के समीकरणों में भी काफी हद तक फेरबदल ला सकता है।

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